कभी कभी मेरे दिल में, खयाल आता है
के मैं बन जाऊँ वो दस्त़क
जिसें तुमने हमेशासे सुनना चाहा..
आजाऊ तुम्हारी चौख़ट पर,
तुम्हारे इंतजार करनेसे पहेले...
देख लूँ तुम्हारे लबों की हसी
उस दस्तक को पाने पर...
भूल जाऊँ पल भर के लिएँ,
कभी मेरे लिएँ ही बंद हुआ था, यह दरवाज़ा...
कभी कभी, मेरे दिल में...
-बागेश्री
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