हर बेबसी से सिमटकर,
उछल पड़ें कुछ साँसें.. अनछुईसी...
दबीदबीसी साँसों में जगा दे आँधी,
हसरतें बह जाएँ, तमन्नाओं को साथ ले जाएँ..
ना पहचान पाऊँ मैं खुद को, किसी और को..
पास पडे कुछ पन्नों पर शुरु करुँ लिखना,
जीवन की नई शुरुआत,
नये तरीकों से...!
अब कहानी में ना मैं हूँ... ना तुम..
ना किसे पाना हैं, नाही पाकर खोना...
एक बहते पानीसी जिंदगी..
जिसे भी छू ले.. जिना सिखा दे...
-बागेश्री
1 Comments
class.absolutely class. especially the end. It's actually a beginning. A new beginning !
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