1.
कभी कभी मेरे दिल में, खयाल आता है,
के चलके आ जाये वह रात, जो बरामदें में पडी है,
थामें मेरा हाथ और हम चल पड़े, सुनसान राह पर...
के चलके आ जाये वह रात, जो बरामदें में पडी है,
थामें मेरा हाथ और हम चल पड़े, सुनसान राह पर...
जहाँ दिन कभी गले ना लगा सका,
वहाँ लपेट ले, यह रात
मिला ले कुछ कदम मेरे खुरदरे पैरों के साथ.. बिना पुछे मुझसे
के जाना कहाँ है और चलना कब तक?
वहाँ लपेट ले, यह रात
मिला ले कुछ कदम मेरे खुरदरे पैरों के साथ.. बिना पुछे मुझसे
के जाना कहाँ है और चलना कब तक?
कभी कभी मेरे दिल में, खयाल आता है,
-बागेश्री
 
 
 
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2 Comments
class.
ReplyDeleteIt is as if the immortal lyrics of Sahir being written afresh by Gulzar !
Touching yet tempting..
Liked hugely.
शुक्रिया..
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