उस रोज तुमने पूछ लिया
जाना कहाँ है,
चलोगी कब तक?
तुम निगाहें गड़े खड़े थे
कैसे बताती,
मजाजी की बात नहीं
इश्क हकीकी तक
जाना है
रास्ता लंबा और
सफ़र सुफीयाना है
-बागेश्री
*(मजाजी: भौतिक, लौकिक
हकीकी: अध्यात्मिक, लौकिक नसलेले)
उस रोज तुमने पूछ लिया
जाना कहाँ है,
चलोगी कब तक?
तुम निगाहें गड़े खड़े थे
कैसे बताती,
मजाजी की बात नहीं
इश्क हकीकी तक
जाना है
रास्ता लंबा और
सफ़र सुफीयाना है
-बागेश्री
*(मजाजी: भौतिक, लौकिक
हकीकी: अध्यात्मिक, लौकिक नसलेले)
1 Comments
Thanks for the definitions ! Good one..
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