आयुष्य चक्राकार हैं

जिंदगीने हमें बार- बार मिलायां हैं

और हमने हर बार बिछड़ना पसंद किया।

मानो जिंदगी का निर्णय हमें मंजूर हो

हम चलते रहे है अपने- अपने रास्तें 

बिना एक दूसरें की कोई खबर लियें

और अचानक से आकर खड़े हो जातें है, एक दूसरें के सामने।

मैंने यह तो जान लिया, के 

आयुष्य चक्राकार हैं

उन्हीं घटनाओं को 

समय दोहराता रहता है

जब तक की हम खुद 

उस पैटर्न समझकर, उसे तोड़ ना दे!

तो आओ, 

अबकी बार मिलने पर दोस्ती कर लें!

जिंदगी के निर्णय पर ज़रासा गौर कर लें

और जान लें, की

पैटर्न को तोड़ना ही, अध्यात्म में मुक्ति कहलाता हैं।

-बागेश्री

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